बुराईयां कभी चुभें नहीं, ये तो हमें सुधारेंगी, ये तो कर्कश रेत है, जो हम में चमक लाएं बुराईयां कभी चुभें नहीं, ये तो हमें सुधारेंगी, ये तो कर्कश रेत है, जो हम में ...
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
भूत, भविष्य और वर्तमान, सब सुन्दर और स्वप्निल हो जाता है। भूत, भविष्य और वर्तमान, सब सुन्दर और स्वप्निल हो जाता है।
जब जाऊंगा इस दुनिया से, फिर हाथ नहीं फैलाऊँगा। जब जाऊंगा इस दुनिया से, फिर हाथ नहीं फैलाऊँगा।
एक नन्हा सा बीज जैसे कोई रोप गया मन में ऐसे आया कि बस गया मन के वृंदावन में एक नन्हा सा बीज जैसे कोई रोप गया मन में ऐसे आया कि बस गया मन के वृंदावन में
डर के लहरों से भला, तू साहिल पे है क्यों खड़ा? डर के लहरों से भला, तू साहिल पे है क्यों खड़ा?